roza rakhne ke fayde in hindi : रोज़ा रखने के फायदे हिंदी में

क्या आपको पता है कि रोज़ा रखने के क्या क्या फायदे होते हैं, रोज़ा रखने के बाद इंसान में क्या बदलाव आते हैं? शुरू करते हैं रोज़ के सबसे अहम फ़ायदे क्या होता है।

Roze ka Sabse Aham fayde : रोज़े का सबसे अहम फायदा:-

रोज़ा रखना के फायदों में से सबसे अहम फायदा यह है कि रोज़ा रोज़ेदार के अंदर तक़वा पैदा करता है रोज़ा रखना सिर्फ ये नहीं के सुबह से शाम तक भूखे प्यासे रहें या अपनी नफ्सानी ख़्वाहिशों से रुके रहें बल्कि रोज़ा रखना यह है कि हमारे अंदर तक़वे की भलाई पैदा हो और हम बुरे कामों से दूर रहकर अल्लाह और उसके रसूल को राज़ी करें |

  1. दिल को सुकून मिलता है
  2. दीदारे इलाही
  3. भूख का अहसास होता है
  4. बहुत से गुनाहों का कफ्फारा
  5. इंसान मज़बूत बनता है
  6. इत्तिहाद पैदा करता है
  7. अल्लाह की सिफत
  8. छुपी हुई इबादत का सवाब
  9. निजात को पहुँचना
  10. रोज़े से सब्र की सीख मिलती है

Dil Ko Sukoon Milta Hai : दिल को सुकून मिलता है:-

रोज़े के फायदों में से एक फायदा यह भी है कि दिल को इत्मिनान और सुकून मिलता है, तो इंसान ग़मों से दूर हो जाता है ख़्वाहिशों का सैलाब थम जाता है नफ्से अम्मारा जो इंसान को गुनाहों की तरफ लेकर जाता है, रोज़े की हालत में गुनाहों की तरफ नहीं ले जाता और रोज़ेदार गुनाहों की दलदल से निकलकर ईमान वाला और तक़वे वाला बन जाता है |

Deedare Ilahi : दीदारे इलाही:-

हज़रत अ़ली रज़िअल्लाहुतआ़लाअ़न्हु से रिवायत है नबिये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया रोज़ेदार को दो खुशियां हासिल होती हैं, एक इफ्तार के वक़्त खुशी हासिल होती है और दूसरी जब वह अपने रब से मिलेगा तो रोज़े की वजह से दीदारे इलाही नसीब होगा(बुख़ारी शरीफ) |
इन सभी फज़ीलतों को हासिल करने के लिए ज़रुरी है कि इंसान झूठ, चुगली ग़ीबत जैसी ख़ुराफातों से बचे रहे वरना इंसान को भूखा प्यासा रहने के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा | चुनांचे अबूहुरैरा रज़िअल्लाहुतआ़लाअ़न्हु से रिवायत है मुह़म्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो शख़्स झूठ बोलना और झूठ पर अ़मल करना ना छोड़े तो अल्लाह तआ़ला को इस बात की कोई जरूरत नहीं कि वह अपना खाना पीना छोड़े (बुख़ारी शरीफ)|

Bhookh Ka Ehsas Hota Hai : भूख का अहसास होता है:-

रोज़ा मालदारों और अमीरों को यह एहसास दिलाता है के भूख और प्यास में कैसी तकलीफ होती है और उन्हें अपने भूखा रहने वाले भाईयों की भूख और प्यास का एहसास होता है, जो हमेशा अपनी गरीबी की वजह से भूखे प्यासे रहते हैं और अमीरों को यह एहसास होता है कि इन गरीबों को खाना खिलाना और इनका पेट भरना कितना सवाब का काम हो सकता है क्यूंकि जो खुद भूखा ना हो उसे कभी भूख का अहसास नहीं होता और जो कभी प्यासा न रहा हो उसे प्यास का एहसास नहीं होता |

Bahut Se Gunaho ka Kaffara : बहुत से गुनाहों का कफ्फारा:-

रोज़ा बहुत से गुनाहों से महफूज़ रखता है, इसलिए यह बहुत से गुनाहों का कफ्फारा भी है | हदीस में बहुत जगह इसको गुनाहों का कफ्फारा बताया गया है, अगर कोई कसम खाकर उसको तोड़ने का गुनाह करे, तो उसका कफ्फारा ये है कि वह 10 मिसकीनों को खाना खिलाए या उसकी ताक़त न हो तो 3 दिन का रोज़ा रखे |

Insan Mazboot Banta hai : इंसान मज़बूत बनता है:-

इंसान चाहे कितने ही नाज़ों से पला बड़ा हो और चाहे कितना ही मालो दौलत वाला हो ज़माने की तकलीफें और ज़िंदगी की कशमकश उसको मजबूर करती है, कि वह अपने आप को तकलीफों का आदी बनाए क्योंकि अगर दुनियां में कोई आफत आ जाती है, जैसे कि पानी का सैलाब या कोई और वजह जिससे खाने पीने के सारे सामान खत्म हो जाएं बहुत कम खाना पीना हो, तो जो शख़्स रोज़ा रखता है तो उसका जिस्म इतना मज़बूत हो जाता है कि वह भूख बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन जो लोग रोज़ा नहीं रखते हैं अब वह उस वक्त में भूखे नहीं रह पाएंगे और उनकी मौत हो जाएगी और रोज़ा रखने वाले कम खाने में ही ज़िंदगी बसर कर सकते हैं, इंसान को मज़बूत बनाने के लिए भी हर साल एक महीने के रोज़े रखवाये जाते हैं ताकि इंसान को भूखे रहने की आदत पड़ जाए और वो किसी भी वक़्त आने वाली तबाही में अपने आप को भूखा रख सके |

Itthihad paida karta hai : इत्तिहाद पैदा करता है:-

पूरी दुनिया के मुसलमानों का हर साल एक ही महीने में एक ही वक़्त रोज़ा रखना यह साबित करता है, कि मुसलमान आपस में कितने मुत्तहिद हैं पूरे साल चाहे कितना ही फिरकाबंदी हो हर मामले में फिरकाबंदी होती है यहां तक कि नमाज़ों के वक़्त में भी फर्क होता है लेकिन रोज़ा एक ऐसी इबादत है जिसका सिर्फ एक ही वक़्त है और पूरी दुनिया के मुसलमान उसी वक़्त में रोज़ा रखते हैं जिससे इत्तिहाद पैदा होता है |

Allah Ki Sifat : अल्लाह की सिफत:-

रोज़े में खाने पीने और हमबिस्तरी से रूकना होता है, जो अल्लाह ताला की सिफत में से है और हदीस में आता है कि जिसने अल्लाह तआ़ला की सिफ़त में से कोई सिफत इख़्तियार की तो जन्नत में दाखिल होगा | रोज़ा फरिश्तों की सिफत से भी मिलाता है क्योंकि फरिश्ते भी ना कुछ खाते हैं और ना कुछ पीते हैं |

Chupi hui Ibadat Ka Sawab : छुपी हुई इबादत का सवाब:-

रोज़ा छुपी हुई इबादत है जिसको अल्लाह तआ़ला के सिवा कोई नहीं जानता नमाज़ ह़ज, ज़कात और जितने भी अ़मल होते हैं, उनमें किसी ना किसी को ज़रूर मालूम होता है कि फुला इंसान नमाज़ पढ़ रहा है या नहीं पढ़ रहा, लेकिन रोज़ा एक ऐसी इबादत है अगर कोई शख़्स सहरी खाता है और दिन में चुपके से कुछ खा लेता है तो किसी को मालूम नहीं होता सिवाय अल्लाह तआ़ला के, अगर वो शख़्स कुछ नहीं खाता है तो भी किसी को मालूम नहीं होता कि इसने नहीं खाया है अल्लाह तआला के अलावा ,क्यूंकि यह छुपी हुई इबादत है और हदीस शरीफ में आया है , छुपी हुई इबादत का सवाब ज़ाहिर में की हुई इबादत से 70 गुना ज़्यादा फज़ीलत रखता है |

Nijat ko pahunchna : निजात को पहुँचना:-

रोज़े में नफ्स की मुख़ालिफत होती है यानि इंसान यह चाहता है कि मैं खाना खाऊं, हमबिस्तरी करूं और वह काम जो रोज़े में नहीं होते हैं वह करूं लेकिन रोज़ा उन कामों से रोक देता है, यानि इंसान अपनी ख़्वाहिशों को मार देता है और हदीस शरीफ में आया है जिसने नफ्स की मुख़ालिफ़त की और उस पर ग़ालिब(उसको दबा दिया) आ गया तो वह निजात को पहुंच गया |

Roze Se Sabr ki seekh milti hai : रोज़े से सब्र की सीख मिलती है:-

रोज़े में इंसान सब्र करता है, और उससे यह सीख मिलती है कि इंसान को और जगहों पर भी सब्र का दामन नहीं छोड़ना चाहिए, अगर ग़रीब है तो भी सब्र करे, बेऔलाद है तो भी सब्र करे और अगर किसी परेशानी में है तो भी सब्र करे, यहां तक कि दुनिया के किसी भी काम में जल्दी ना मचाए, बल्कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त पर भरोसा करे और सब्र करे क्योंकि अल्लाह तआला ने इरशाद फरमाया बेशक सब्र करने वालों के साथ अल्लाह है |

इस पोस्ट को लिखने मैं या कहने में कोई गलती हो गई हो तो अल्लाह से दुआ है की वो सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सदके से गलती को माफ कर दे।

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