क्या आपको पता है कि रोज़ा किन किन चीजों से टूट जाता है और किन बातो से नहीं टूटता है। आज हम यह रोज़ा तोडने वाली वजह के बारे में जानेंगे।
ह़दीस:-
अबू याअ़ला इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु तआ़ला अ़न्हु से रिवायत है कि इस्लाम के कड़े बुनियाद और दीन के कानून 3 हैं जिन पर इस्लाम की बुनियाद मज़बूत की गई जो उनमें 1 को छोड़ दे तो वह काफिर है उसका खून हलाल है कलमये तौहीद की शहादत और नमाज़े फ़र्ज़ और रमज़ान के रोज़े और एक रिवायत में है जो उनमें से एक को छोड़ दे तो वह अल्लाह के साथ कुफ्र करता है और उसका फ़र्ज़ और नफिल कूछ क़बूल नहीं।
Roza todne wali Cheezon ki 2 kisme hoti hai : रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों की दो किस्में हैं:-
(1) जानबुझकर उल्टी करना या मनी निकालना :-
जानबूझकर उल्टी करना या मनी का निकलना यानी हाथ से मनी निकालना या हमबिस्तरी से मनी का निकलना इसको अल्लाह तआ़ला ने रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ें करार दिया है ताकि रोज़ेदार में दोनों कमज़ोरियां एक रोज़े की कमज़ोरी दूसरी इन चीज़ों के निकलने की कमज़ोरी जमा न होने पाएं क्योंकि इससे रोज़ेदार को नुक्सान पहुंच सकता है।
(2) अंदर दाखिल होने वाली:-
यानी पेट में जाने वाली चीज़ें जैसे:- खाने और पीने से रोज़ा टूट टूट जाता है।
अल्लाह तआ़ला ने क़ुरान मजीद में रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों के उसूल जमा कर दिए हैं:-
“अब तुम्हें उनसे हमबिस्तरी करने और अल्लाह तआ़ला की तरफ से लिखी हुई चीज़ को तलाश करने की इजाज़त है। तुम खाते पीते रहो यहां तक कि सुबह का सफेद धागा काले धागे से ज़ाहिर हो जाए। फिर रात तक रोज़े को पूरा करो – (सूरये बक़राह आयत 187)
यानी जब रोज़ा पूरा हो जाए तो हमबिस्तरी कर सकता है क्योंकि अल्लाह तआ़ला ने इसकी इजाज़त दी है और खाने पीने का भी हुकुम दिया है कि रात में किसी भी वक्त खा सकते हैं और फज्र का वक्त़ शुरू होते ही खाना पीना बंद कर दें।
रोज़े को तोड़ने वाली 7 चीज़ें हैं:-
- हमबिस्तरी
- मुश्तज़नी (हाथ से मनी निकालना)
- खाना पीना
- वो चीज़ें जो खाने पीने के मायने में हों
- संगी (हिजामा (जिस्म का गंदा ख़ून निकाला जाता है)) लगवाने से ख़ून निकलने पर
- जानबुझकर उल्टी करना
- औरत का हैज़ और निफास(पीरियड्स) की वजह से ख़ून निकलना
अब हम इन सातों चीज़ों की वज़ाहत करेंगे
Hambistari : हमबिस्तरी:-
जो शख्स रमज़ान में दिन के वक्त़ हमबिस्तरी करे जानबूझकर और पूरे इख़्तियार से इस तरह के किसी एक की शर्मगाह दूसरे की शर्मगाह में मिल जाए और नज़र ना आए तो रोज़ा टूट जाएगा चाहे इंज़ाल हो या ना हो मनी निकले या ना निकले। वह अल्लाह तआ़ला से इस काम के लिए तौबा करे, उसके लिए उस दिन का रोज़ा पूरा करना ज़रूरी है और फिर उस रोज़े की कजा भी रखे और उसके ऊपर इस गुनाह का कफ्फारा भी लाज़िम है
उसके ऊपर कफ़्फ़ारे में किया लाज़िम होगा वह हम ह़दीस में बयान कर देते हैं
ह़दीस:- “अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु तआ़ला अ़न्हु बयान करते हैं कि एक शख्स रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम के पास आया और कहने लगा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम मैं तो बर्बाद हो गया नबीये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने उससे पूछा किस चीज़ नहीं तुझे हलाक कर दिया?
वह शख्स कहने लगा मैं रमज़ान में रोज़े की हालत में अपनी बीवी से हमबिस्तरी कर बैठा हूं। तो नबीये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया क्या तुम गुलाम आज़ाद कर सकते तो वह कहने लगा कि मैं इतना माल नहीं रखता।
तो नबीये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया 2 महीने के रोज़े लगातार रख सकते हो वो कहने लगा कि मैं इसकी भी ताकत नहीं रखता
नबीये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने फ़रमाया 60 मिस्कीनों को खाना खिला सकते हो तो वो शख्स कहने लगा नहीं (बुखारी शरीफ हदीस नंबर 1936)
नोट! हमबिस्तरी के अलावा किसी भी चीज़ से रोज़ा टूटने पर कफ्फारा वाजिब नहीं होता।
Mushtzani hath many nikalna : मुश्तज़नी (हाथ से मनी निकालना)
मुश्तज़नी (हाथ से मनी निकालना) से रोज़ा टूटने की दलील पेश करते हैं –
अल्लाह तआ़ला ने रोज़ेदार के बारे में फरमाया ” वह अपना खाना पीना और शहवत करना मेरी वजह से छोड़ देता है “(बुखारी शरीफ हदीस नंबर 1151)
और मनी का निकलना भी शहवत में से है रोज़ा रखने वाले के ऊपर फ़र्ज़ है कि शहवत को छोड़ दे। लिहाज़ा जिसने भी रमज़ानुल मुबारक में दिन को रोज़े की हालत में मुश्तज़नी की तो उसका रोज़ा टूट गया अब वह उस रोज़े को भी पूरा करेगा और रोज़े की क़ज़ा भी रखेगा।
और अगर वह मुश्तज़नी (हाथ से मनी निकालना) शुरू ही करे फिर इंज़ाल (मनी से पहले जो पानी की तरह निकलता है) से पहले रूक जाए और इंज़ाल न हुआ हो तो रोज़ा नहीं टूटा और भी नहीं रखेगा और अगर इंज़ाल हो गया तो रोज़ा टूट गया और फिर उसकी क़ज़ा भी रखेगा।
नोट! दिन में सोते वक़्त ऐहतलाम (नाईटफेल) से रोज़ा नहीं टूटेगा यूंही धात के मरीज़ों की धात आने से भी रोज़ा नहीं टूटेगा।
khana peena : खाना पीना :-
मुंह के रास्ते किसी भी चीज़ का मेदे तक पहुंचना खाना या पीना कहलाता है। इसी तरह नाक के रास्ते किसी भी चीज़ का मेदे तक पहुंचना यह भी खाने-पीने के हुकुम में आएगा। इसीलिए नबीये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया ” नाक में पानी अच्छी तरह चढ़ाओ के पानी नर्म हड्डी तक पहुंच जाए लेकिन रोज़े की हालत में ऐसा ना करें।
इस ह़दीस से साबित हो गया कि अगर नाक के रास्ते पानी मेदे में पहुंच गया तो रोज़ा टूट जाएगा।
Woh cheez jo khane peene ke hukm me hon : वो चीज़ें जो खाने पीने के हुक्म में हों :-
इसकी दो किस्में हैं:-
- रोज़ादार को ख़ून लगाना यानी अगर रोज़े की हालत में ख़ून बह जाता है और फिर उसको ख़ून दिया जाए तो रोज़ा टूट जाएगा क्योंकि ख़ून खाने पीने से भी ज़्यादा ताक़तबर चीज़ है।
- ग़िज़ा की ताक़त देने वाले इंजेक्शन यानी वह इंजेक्शन जिनको लगाने के बाद खाने पीने की ज़रुरत नहीं रहती उनसे रोज़ा टूट जाएगा।
लेकिन वह इंजेक्शन जो ग़िज़ा की ताक़त नहीं देते हैं बल्कि किसी बीमारी की वजह से लगवाता है तो रोज़ा नहीं टूटेगा। जैसे-पंसलीन और इंसुलिन वगैरह के टीके इनके लगाने से रोज़ा नहीं टूटेगा चाहें नस में लगाए जाएं या फिर गोश्त में।
नोट! लेकिन इन सारे कामों से परहेज़ करना चाहिए बहुत ज़रुरत पड़ने पर ही इंजेक्शन लगवाना चाहिए जहां तक मुमकिन हो रात को ही इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
hijama wagairah ya sangi : संगी:- (हिजामा (जिस्म का गंदा ख़ून निकाला जाता है))
जिस्म में काफी जगह हल्का सा चीरा लगाकर रबड़ के छोटे-छोटे गोले उस चीरे पर रखकर उस में हवा भर दी जाती है और वह हल्के हल्के जिस्म से खून निकालते रहती है गंदा खून निकल जाता है ऐसा करने से भी रोज़ा टूट जाता है तो यह काम भी रोज़े की हालत में नहीं करना चाहिए बल्कि रात को सोते वक्त कर ले।
- और इसी तरह ख़ून देना भी संगी (हिजामा) की तरह ही है। इसलिए ऐसा करने से भी रोज़ा टूट जाएगा, लेकिन अगर बहुत ज़्यादा मजबूरी हो तो दे सकता है, लेकिन उसका रोज़ा टूट जाएगा ,अब उसके ऊपर उसकी क़ज़ा वाजिब है।
- अगर किसी का खून किसी वजह से बह जाता है जैसे एक्सीडेंट या किसी मर्ज़ में तो अब क्यूंकि उसमें उसका इख़्तियार नहीं तो अब उसका रोज़ा नहीं टूटेगा यूंही मुंह में अगर खून निकले दांत उखड़ने की वजह से या किसी और वजह से तो उससे भी रोज़ा नहीं टूटेगा। हां अगर मुंह से खून निकला और घांटी में चला गया तो रोज़ा टूट जाएगा।
Ganbujhkar ulti Karna : जानबुझकर उल्टी करना:-
तिरमिज़ी शरीफ की ह़दीस है “जिसको ख़ुद ब ख़ुद उल्टी आए तो उसके ऊपर क़ज़ा नहीं लेकिन अगर कोई जानबूझकर उल्टी करे तो उसके ऊपर क़ज़ा वाजिब है”।
लिहाज़ा जिसने भी जानबूझकर अपनी उंगली मुंह में डालकर या पेट दबाकर या बदबूदार चीज़ सूंघकर या किसी गंदी चीज़ को जानबूझकर देखा जिससे उल्टी आ गई तो रोज़ा टूट जाएगा।
और जब मेदा ऊपर को आए और उसे उल्टी होने लगे तो उल्टी को ना रोके क्योंकि उल्टी को रोकना नुकसान दे है इससे उसे और मर्ज़ हो सकते हैं इसलिए उल्टी आने दे।
Aurat ke puriods ki wajah se khoon nikalna : औरत का हैज़ और निफास(पीरियड्स) की वजह से ख़ून निकलना:-
बुख़ारी शरीफ की ह़दीस है नबीये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया
“क्या ऐसा नहीं है कि तुम में से किसी को ह़ैज़ आता तो वह न तो रोज़ा रखती है और न ही नमाज़ पढ़ती है। (बुख़ारी शरीफ ह़दीस नम्बर 304) औरत जब भी ह़ैज़ या निफास का ख़ून आए तो रोज़ा टूट जाएगा चाहे रोज़ा इफ्तारने के कुछ देर पहले ही ख़ून आए।
अगर औरत को रात में ख़ून आना बंद हो गया और उसने बग़ैर ग़ुस्ल करे ही नियत करली और फज्र का वक्त़ शुरू होने तक नियत न कर पायी तो उसका रोज़ा हो जाएगा।
नोट! ह़ैज़ और निफास में जो रोज़े क़ज़ा होंगे उनकी क़ज़ा बाद में पूरी करेगी।
इस पोस्ट को लिखने मैं या कहने में कोई गलती हो गई हो तो अल्लाह से दुआ है की वो सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सदके से गलती को माफ कर दे।