आप यहां नमाज के बारे में तफसील से पढ़ सकते हैं। 5 वक़्त की नमाज़ कब से फ़र्ज़ हुई, नमाज़ क्यू पढ़ी जाती है, और मेराजा के बारे में।
Namaz kab se farz hui
कुरान शरीफ मे नमाज़ लफ्ज बार बार आया है। दीन ए इस्लाम मैं हर मुसलमान आदमी और औरत के लिए दिन में 5 बार नमाज़ पढ़ना जरूरी है। बगैर नमाज़ के कोई भी नेक काम कबूल नहीं है। अल्लाह ताला क़ुरान शरीफ मे साफ़ साफ़ इरशाद फरमाता है की, ए मोहम्मद (सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम) मेरे बंदो से कह दो की दिन में 5 बार नमाज कायम करे। नमाज़ फ़र्ज़ है हर एक मुसलमान पर।
हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम की उम्मत पर 5 टाईम की नमाज़ कब फ़र्ज़ हुई
हमारे प्यारे हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम जो अल्लाह ताला के सबसे प्यारे नबी और बंदे है। अल्लाह ताला ने हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम को अपने पास मुलाकत करने के लिए बुलाया जिसको मेराज कहते हैं।
नोट: (आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम और आपके सहाबा इकराम नमाज़ पहले भी पढ़ते थे मेराज पर जाने से पहले, लेकिन पहले कोई भी टाइम फिक्स नहीं था नमाज़ पढ़ने का।
एक रात हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम नमाज़ पढ़ा के सोए हुए थे,अल्लाह ताला का एक फरिश्ता जिन्का नाम हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम है आपकी बरगाह में आते हैं और सलाम करते हैं और कहते हैं कि, अल्लाह ताला आपको सलाम बोलता है, और आपको अपने पास मुलाकत के लिए बुलाता है। हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम फरमाते है की हम जाएंगे कैसे तो हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम फरमाते है की अल्लाह ताला ने आपके लिए एक सवारी का इंतज़ाम किया है जिसका नाम अल-बुराक़ है।
आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम और हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम दोनो अल-बुराक़ सावारी पर बैठ जाते हैं। आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम इरशाद फरमाते है की अल-बुराक कितने वक्त में मैं पहुंच जाएगा इसकी स्पीड कितनी है, तो हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम फरमाते है की प्यारे नबी आपकी आंखें जहां तक देखंगी ये अल-बुराक उतनी ही स्पीड से वही पहुंच जाएगा।
आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम और हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम अल-बुराक़ पर पर बैठ जाते हैं और सफ़र शुरू हो जाता है। जब सिद्रतुल मुंतहा आता है तो हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम फरमाते है की ऐ हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम मेरा सफर यही पर खत्म होता है। में याहा से आगे नहीं जा सकता: क्योंकि अल्लाह ताला ने मुझे इसके आगे जाने की इजाज़त नहीं दी है, याहा से आको अकेले ही जाना पड़ेगा।
इस पर एक शायर ने लिखा है की (रुहुल्लाह आमीन सिदरा तलक जा के थम गए सिद्रा के आगे देखिये शाहे उमम गए)
आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम अल्लाह ताला के पास पहुँच जाते हैं और अल्लाह से मुलाक़ात करते हैं,जब आप वापस आते हैं तो आते वक्त आपको हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम मिलते हैं और पुछते हैं की ए मोहम्मद (सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम) आप क्या तोहफा ले के आये है अल्लाह ताला के पास से। आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम इरशाद फरमाते है की मुझे अल्लाह ताला ने नमाज़ का तोहफा दिया। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पुछते है की अल्लाह ताला ने दिन में कितने बार नमाज़ पढ़ने का तोहफा दिया है, आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम इरशाद फरमाते है की 50 बार नमाज़ पढ़ने का तोहफा दिया है। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम बोलते है की 50 बार जायदा हो जाएगा, आपकी उम्मत को परेशानी होगी 50 बार नमाज़ पढ़ने में। आप फिर से अल्लाह ताला के पास जाए और कुछ कम करने को कहे। आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम फिर से अल्लाह ताला के पास जाते हैं और कुछ कम करने को कहते हैं। आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम फिर वापस आते हैं तो हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फिर पूछते हैं कितनी कम हुई आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम फरमाते है की 45 बार। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फ़िर आपको अल्लाह ताला के पास जाने को कहते हैं, आप फिर जाते हैं, ऐसे करते करते नमाज़ 5 बार की रह जाती है। जब आप वापस आने लगते हैं तो अल्लाह ताला फरमाता है की ए मोहम्मद (सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम) आपकी उम्मत नमाज़ 5 बार की पडेगी लेकिन इन्हें 50 बार का सबाब मिलेगा। सुभान अल्लाह!
आप हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम मेराज का सफर करके दुनिया में आ जाते हैं और सुबहा को सहाबा इकराम से मेराज का ज़िक्र करते हैं और नमाज़ के तोहफे के बारे में बताते हैं।
तो हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम के प्यारे दीवानो याहा से हम सब लोगो पे 5 बार की नमाज़ फ़र्ज़ होती है
पहली नमाज़: नमाज़–ए–फज्र
ये सुबहा की नमाज़ होती है जो सूरज के निकले से पहले पड़ी जाति है। इस नमाज़ में 4 रकात होती है, 2 सुन्नत और 2 फ़र्ज़ है।
दुसरी नमाज़: नमाज़–ए–जोहर
ये नमाज़ दिन में 12:17 के बाद पडी जाति है इस नमाज़ में 12 रकात होती है पहले 4 सुन्नत, फिर 4 फर्ज़, फिर 2 सुन्नत और 2 नफिल
तीसरी नमाज़– नमाज़–ए–असर
ये नमाज़ सूरज दुबने से पहले पडी जाति है, इस नमाज़ मैं 8 रकात होती है जिसमे पहले 4 सुन्नत फिर 4 फ़र्ज़
चौथी नमाज़ : नमाज़–ए–मग़रिब
ये नमाज़ सूरज दुबने के फ़ौरन बाद पड़ी जाति है इस नमाज़ मैं 7 रकात होती है। पहले 3 फ़र्ज़, फ़िर 2 सुन्नत और फ़िर 2 नफ़िल
पांचवी नमाज़: नमाज़–ए–ईशा
ये नमाज़ रात की नमाज़ है, ये सबसे बड़ी नमाज़ होती है जिसमे
17 रकात होती है। पहले 4 सुन्नत, फ़िर 4 फ़र्ज़, फ़िर 2 सुन्नत, फ़िर 2 नफ़िल, फ़िर 3 वित्र और 2 नफ़िल।
ये 5 बार की नमाज़ हर मुसलमान (औरत और मर्द) पर फ़र्ज़ है। ये वो रास्ता है जो हम सब को कबर से ले क जन्नत में ले के जाएगा इंशाल अल्लाह।
सारे मुसलमानो को चाहिए की वो 5 बार की नमाज़ पढा करे, नमाज़ पढ़ने से कोई भी काम रुकता नहीं है।
Namaz Padhne ki sharte or Tarika Kya Hai (नमाज़ पढ़ने की शर्ते या तरीका क्या है)
नमाज़ की 6 शरते है जिसके बग़ैर नमाज़ नहीं हो सकती
- वुज़ू का होना
- नमाज़ पढ़ने के लिए कपड़े और बदन का पाक होना, जिस जगहा नमाज़ पढ़ना हो उसे जगहा का पाक होना
- सत्र यानी मर्द को नाफ् से घुटनो तक ढका होना. औरतों का नमाज़ की हालत में पूरा बदन ढका रहना जरूरी है।
- क़िबला की तरफ मुह (चेहरा) करना
- नमाज़ का वक्त होना
- नमाज़ की नियत करना
- तकबीर ए तहरीमा (यानी अल्लाह हु अकबर कहना)
Conclusions (निष्कर्ष)
हमने इस पोस्ट में 5 बार की नमाज़ कब से फ़र्ज़ हुई और मेराज का ज़िक्र किया है। इसके अलावा नमाज़ की शर्तो का भी जिक्र किया है। उम्मिद है आप लोगो को ये पोस्ट पसंद आएगी, अगर पसंद आती है तो आप पोस्ट को अपने दोस्तो, रिश्तेरो और अपने घर वाले को सिफारिश करेंगे।
और एक अहद करेंगे की हम सब हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम की उम्मती आज से ही 5 बार की नमाज़ पढ़ना शुरू कर देंगे। काम भी जरूरी है और नमाज़ भी बहुत जरूरी है। नमाज़ जन्नत की कुँजी है, नमाज कायम करो। नमाज़ हम सब के आका हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम की आंखों की ठंडक है
“अस्तगफिरुल्लाह–रब्बी–मिन–कुली–ज़ाम्बियोन–वा–अतूबु–इलैह”
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