क्या आप जानते है कि रोज़ा किन किन बातों से नहीं टूटता है. आज कल इस बात को ले के लोग काफी गफलत में रहते है की हमसे ऐैसा वैसा काम हो गया है अब पता नहीं हमारा रोज़ा टूट गया या नहीं. कुछ काम ऐसे हो गए कि रोज़ा टूट गया है और हमे पता भी नहीं है.
आज हम यहाँ इन सब बातों की ज़िक्र करेंगे और सभी फैली हुई गलतफहमी को दूर करने की कोशिश करेंगे इंशा अल्लाह. पोस्ट को पूरा पढ़े बहुत ज़रूरी है.
jin cheezon se roza nahi tootta unke baare me kuch hadeesen : जिन चीज़ों से रोज़ा नहीं टूटता उनके बारे में कुछ हदीसें:-
हदीस:- सही बुखारी मुस्लिम में अबू हुरैरा रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु से मर्वी है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया रोज़ेदार ने भूलकर खाया या पिया वोह अपने रोज़े को पूरा करे कि उसे अल्लाह ने खिलाया और पिलाया।
हदीस:- अबु दाऊद वा तिरमीज़ी वा इब्ने माजा वा दारमी की हदीस है अबू हुरैरा रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु से मर्वी है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया जिसको खुद बाखुद उल्टी आई उस पर रोज़े की कज़ा नहीं है जिसने जानबूझकर उल्टी की उस पर रोज़ा कज़ा है ।
हदीस:- तिरमीज़ी में अनस रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु से मर्वी है कि एक शख्स ने खिदमते अकदस में हाज़िर होकर अर्ज़ की मेरी आंख में मर्ज़ है किया रोज़े की हालत में सुरमा लगाऊँ फ़रमाया हां।
हदीस:- तिरमीज़ी में अबू सईद रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु से मर्वी है रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया उल्टी और एहतलाम (नाइट फेल) से रोज़ा नहीं टूटता अगर उल्टी खुद न की हो।
Jin cheezon se roza nahin tootta un cheezon ka poora bayan : जिनसे रोज़ा नहीं टूटता उन चीज़ों का पूरा बयान:-
(1)भूलकर खाया या पिया या बीवी से हमबिस्तर हुआ तो उसका रोज़ा नहीं टूटेगा चाहें रोज़ा रमज़ान का हो या रोज़ा निफ्ली हो । और अगर किसी ने याद दिलाया फिर भी याद न आया की मेरा रोज़ा है तो अब रोज़ा टूट जाएगा , बशर्ते ये काम याद दिलाने के बाद हुए हों लेकिन इस सूरत में कफ्फारा लाज़िम नहीं ।किसी रोज़ेदार को इन कामों में देखे तो याद दिलाना वाजिब है अगर याद न दिलाया तो गुनहगार होगा ,और अगर रोज़ेदार कमज़ोर है कि अगर याद दिलाएगा तो वोह खाना पीना छोड़ देगा और कमज़ोरी इतनी बढ़ जाएगी कि रोज़ा रखना मुश्किल हो जाएगा ।और अगर खालेगा तो रोज़ा भी पूरा हो जाएगा क्योंकी भूलकर खाने में हर्ज नहीं ।
जवान को खाता पीता देखे तो रोज़ेदार होना याद दिलादे और अगर किसी बूढ़े को देखे तो याद दिलाने में कोई हर्ज नहीं। लेकिन जवान अगर कमज़ोर हो तो जवान को याद न दिलाने में हर्ज नहीं और अगर बूढ़ा तंदुरुस्त हो तो याद दिलाना वाजिब है।
(2)मक्खी या धुआं या धूल अगर हलक में चला जाए तो रोज़ा नहीं टूटता ,चाहे वो धूल आंटे की हो कि चक्की पीसने या आंटा छानने में उड़ता है या गल्ले की धूल हो जैसे धान , गेहूं, बाजरा वगैरह की धूल ,हवा से उड़कर धूल हलक में पहुंच गई या फिर किसी जानवर या ट्रैफिक के टायरों से तो भी रोज़ा नहीं टूटेगा अगर चे रोज़ेदार होना याद हो चाहे वोह किसी भी चीज़ का धुआं हो और किसी भी तरह हलक में पहुंचाया हो यहां तक कि अगरबत्ती सुलग रही तो और उसने नाक बढ़ाकर धुआं अंदर ले लिया तो उसका रोज़ा टूट गया यूंही हुक्का पीने से भी रोज़ा टूट जाता हा जबकि रोज़ादार होना याद हो , रोज़ेदार होना याद हो और फिर हुक्का पिए तो उसके ऊपर कफ्फारा भी लाज़िम है।
(3) बीवी का बोसा लिया मगर इंज़ाल न हुआ तो रोज़ा नहीं टूटा ,यूंही औरत को शर्मगाह की तरफ नज़र की और हाथ न लगाया और इंज़ाल हो गया तब भी रोज़ा नहीं टूटा ,अगर चे बार बार नज़र करने हमबिस्तरी के खयाल बार बारे आने से इंज़ाल हुआ हो , चाहें देर तक यही खयाल दिमाग में आता रहा इन सब सूरतो में रोज़ा नहीं टूटेगा।
(4) गुस्ल किया और पानी की ठंडक अंदर महसूस हुई या कुल्ली की और पानी बिलकुल फेंक दिया सिर्फ कुछ तरी मुंह में बाकी रह गई और थूक से उसे निगल गया तो रोज़ा नहीं टूटा या कोई दवा कूटी और उसकी धूल हलक में चली गई और उसका मज़ा मालूम हुआ तो भी रोज़ा नहीं टूटा ,दांत में कोई बारीक से चीज़ हिलग गई और ये खयाल किया कि अपने आप निकल जाएगी निकालना दुश्बार है और वो हलक में चली गई तो भी रोज़ा नहीं टूटा, कान में रुई डालके मैल साफ किया तो भी रोज़ा नहीं टूटा सुरमा और तेल लगाने से भी रोज़ा नहीं टूटा अगर चे हलक में उसका मज़ा पहुंच गया।
अगर दांत से खून निकला और हलक से नीचे ना उतरा तो इन सब सूरतों में रोज़ा नहीं टूटेगा ।
(5)रोज़ादार के पेट में किसी ने तीर या चाकू भोंक दिया अगर चे उसकी तीर उसके पेट में रह गई या उसके पेट में झिल्ली तक ज़ख्म था किसी ने कंकर मारा और पेट में चला गया तो भी रोज़ा नहीं टूटा और अगर जानबूझकर ऐसा किया तो रोज़ा टूट जाएगा ।
(6) बात करते वक्त होंठ तर हो गए और उस थूक को निगल गया तो रोज़ा न टूटा या मुंह से राल टपकी मगर डोरा न टूटा था कि उसे चढ़ाकर पी गया या नाक में रेंट आगई या बाहर निकली और टपकी नहीं उसे चढ़ाकर पी गया खकार मुंह में आया और निगल गया चाहे कितना ही हो रोज़ा न टूटा लेकिन इन सब बातो का एहतियात करना चाहिए ।
(7) भूले से खाना खा रहा था याद आते ही फौरन फेंक दिया या फजर का वक्त शुरू होने से पहले खा रहा था और जैसे ही फजर का वक्त शुरू हुआ उसने हाथ खाने से रोक लिया तो रोज़ा न टूटा और अगर याद दिलाने के बाद खाया या फजर का वक्त शुरू होने के बाद खाया तो रोज़ा टूट गया।
(8) रोज़े में बीवी से हमबिस्तरी कर रहा था जैसे ही याद आया अलग होगया यूंही फजर का वक्त शुरू होने से पहले हमबिस्तरी कर रहा था जैसे ही वक्त शुरू हुआ अलग होगया और अब मनी या इंज़ाल याद आने के बाद हुआ या फजर का वक्त शुरू होने के बाद निकले तो भी रोज़ा नहीं टूटेगा ।
(9) मुश्तज़नी (हैंडप्रैक्टिस) की और इंज़ाल ना हुआ तो रोज़ा नहीं टूटेगा । हदीस में ऐसे शख्स पर लानत आई है जो हाथ से मनी निकाले।
(10)जानवर से ज़िनॉ किया और इंज़ाल ना हुआ तो रोज़ा नहीं टूटेगा और अगर इंज़ाल हो गया तो रोज़ा टूट गया और अगर जानवर का बोसा लिया या उसकी शर्मगाह को छुआ और इंज़ाल होगया तो रोज़ा नहीं टूटेगा । अगर चे ये बहुत बड़ा कबीरा गुनाह हैं
नोट: अल्लाह ताला ने किसी जानबर से ज़िनॉ करने वालों के लिए बहुत बड़ा अज़ाब रखा है. सरकारे मदिना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जानबर से ज़िनॉ करने से सख्ती से मना किया है. सब इंसानों को इस काम से बचना चाहिए.
(11) एहतालम (नाईट फेल) हुआ या गीबत की तो रोज़ा नहीं टूटा अगरचे गीबत कबीरा गुनाह है। कुरान मजीद में गीबत के बारे आया है की जिसने गीबत को गोया उसने अपने मुर्दा भाई का गोश्त खाया ।,और हदीस में आता है कि गीबत ज़िनॉ से भी ज़ियादा बड़ा गुनाह है इससे रोज़े की नूरानियत जाती रहती है ।
(12) नापकी की हालत में सुबह हो गई और रोज़ा की हालत में था और ऐसे ही पूरा दिन रहा रोज़ा नहीं टूटेगा मगर इतनी देर तक जानबूझकर गुस्ल ना करना कि नमाज़ क़ज़ा होगी हराम और गुनाह है ।
हदीस में आया : नापाक जिस घर में होता है इस घर में रहमत के फरिश्ते नहीं आते
(13) जिन से हम्बिस्तरी की तो जब तक इंज़ाल ना हुआ रोज़ा न टूटा जबकि वोह इंसानी शकल में न हो और अगर इंसानी शकल में हो तो दोनो की शर्मगाहे जैसे ही आपस में मिलेंगी रोज़ा टूट जाएगा चाहे इंज़ाल हो या ना हो ।
(14)तिल या उसके बराबर कोई चीज़ चबाई और थूक के साथ निगल गया तो रोज़ा नहीं टूटा और अगर उसका मज़ा हलक में महसूस हुआ तो रोज़ा टूट गया ।