क्या आपको छठे कलमे के वारे में पता है और छठे कलमे को कैसे पढ़ा जाता है। आज इस पोस्ट में छठे कलमे के बारे में बात करेंगे। छटे कलमे की शुरुआत कहा से हुई, छठे कलमे की फजीलत क्या है, हमारे प्यारे आका सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम छठे कलमे को कैसे पढ़ा करते थे।
Kalme kyu banae gaye : कलमे क्यों बनाए गए
जब मज़हबे इस्लाम शुरु हुआ तो इसके क़ानून क़ुरान और ह़दीसों के ज़रीये फैलाए गए , अब क्योंकि क़ुरान और ह़दीस में तो बहुत अलफ़ाज़ थे तो अंदेशा था ,कि कहीं आने वाली नसलें क़ुरान और ह़दीस को पढ़ न पाएं, अगर कुरान और हदीस को ना भी पढ़ें तो भी गुमराहियत की तरफ ना जाएं इसलिए कलमों का आग़ाज़ किया गया, क्योंकि इसमें कम अल्फ़ाज़ में मुकम्मल बयान कर दिया गया,कि एक अल्लाह की इबादत करनी है,एक रसूल को मानना है,नमाज़ क़ायम करनी है, गुनाहों से तौबा करना है, ज़कात देना है, और हज करना है, यह यह इस्लाम की बुनियादी बातें आम लोग भूल ना जाएं, इसलिए कलमों को बनाया गया ताकि आम लोग इसे आसानी से याद कर सकें ,क्योंकि इसमें कम अल्फ़ाज़ होते हैं और उन अ़क़ीदों को अपनी ज़िंदगी में हमेशा याद रखें और उन पर अमल करते रहे, चार कलमें तो हदीस में साफ-साफ लिखे हुए हैं लेकिन पांचवा और छठा कलमा उ़लमाय दीन ने अलग-अलग हादीसों से अल्फाज़ों को उठाकर बनाया है |
उन्हीं में से हम आज छठे कलमें के बारे में बात करेंगे
- छटा कलमा और उसका तरजुमा
- छटा कलमा कौन-कौन सी हदीसों से लिया गया है?
Chatha Kalma or uska tarjuma : छटा कलमा और उसका तरजुमा
Chatha Kalma radde kufr Arabic me : छटा कलमा रद्दे कुफृ अरबी में

Kalma hindi me : कलमा हिंदी में
अल्लाहुम्मा इन्नी मिन अन उशरिका बिका शयअ-वं- व अना अअ़लमु बिही व असतग़फिरुका लिमा ला अअ़लमु बिही तुबतु अ़नहू व तबर्रातु मिनल कुफरि व-शि्रकि वल किज़बि वल ग़ीबति वल बिदअ़ति वन्नमीमति वल फवाह़िशि वल बोहतानि वल मआ़स़ी कुल्लिहा व असलमतु व अक़ूलु ला इलाहा इल्लल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह
तरजुमा:- ए अल्लाह मैं तेरी पनाह मांगता हूं इस बात से कि मैं किसी शैय को तेरा शरीक बनाऊं जानबूझकर और बख्शिश मांगता हूं तुझसे उस (शिर्क )की जिसको मैं नहीं जानता, और मैंने उससे तौबा की और बेज़ार हुआ कुफृ से और शिर्क से और झूठ से और ग़ीबत से और बिदअ़त से और चुग़ली से और बेहयाय्यें से और बोहतान से और तमाम गुनाहों से और मैं इस्लाम लाया ,और मैं कहता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और मुह़म्मद सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम अल्लाह के रसूल हैं|
Chatha Kalma kon kon si hadeeso se liya gaya hai : छटा कलमा कौन-कौन सी हदीसों से लिया गया है?
छठे कलमें में जो अल्फ़ाज़ लिखे गए हैं, वह साफ साफ तौर पर किसी भी हदीस या क़ुरान की आयत में मौजूद नहीं हैं, अलबत्ता बहुत सी ऐसी हदीसे मौजूद हैं जिनमें छठे कलमें के जैसे अल्फाज इस्तेमाल किए गए हैं जैसे लफ्ज़ हदीस में मौजूद हैं, ठीक उसी तरह लफ्ज़ तो इन कलमों में मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनके मअ़ना मिलते जुलते हैं
कुछ अल्फ़ाज़ नीचे दी गई हदीस में मिलते हैं-

तरजुमा:- हज़रत मो अ़क़ल बिन यसार रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु फरमाते हैं के नबी ए करीम सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया तू कह ऐ अल्लाह बेशक मैं तेरी पनाह मांगता हूं, कि मैं किसी को तेरे साथ जानबूझकर शरीक ठहराऊं और मैं अपने अनजाने में किए गए गुनाहों की माफी चाहता हूं
कुछ अल्फ़ाज़ ऊपर मौजूद हदीस में छठे कलमे की तरह मिलते जुलते हैं |

तरजुमा:- अ़ब्दुर्रहमान इब्ने अबी बकरा ने अपने बेटे से कहा ऐ बेटा!
मैं देखता हूं कि तू हर सुबह को यह दुआ मांगता है,ऐ अल्लाह मेरे बदन को आफियत अता फरमा ऐ अल्लाह मेरे सुनने में तरक्की अता फरमा |
हालांकि तुझे उसके बदले में यह दुआ मांगनी चाहिए
ऐ अल्लाह! “मैं कुफ्र और फकीरी से तेरी पनाह मांगता हूं”

तरजुमा:- हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हा कहती हैं ,,कि नबीये करीम सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम नमाज़ में यह दुआ मांगा करते थे “ऐ अल्लाह मैं तेरी पनाह मांगता हूं गुनाह और नाफरमानी से सहाबा इकराम ने अर्ज़ की या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम आप नमाज़ में यह दुआ क्यों मांगते हैं ,तो आप सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो शख्स अल्लाह तआ़ला की नाफरमानी करता है, तो वह हर बात पर झूठ बोलता है, और वादा ख़िलाफी करता है

तरजुमा:- हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊ़द रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु से रिवायत है के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम जब भी नमाज़ पढ़ते तो अपना नूरानी चेहरा हमारी तरफ करके यह कलिमात पढ़ते “ऐ अल्लाह मैं तेरी पनाह मांगता हूं दुनियवी और उख़रवि गमों से इ़ज्ज़ और सुस्ती से, ज़िल्लत और बेतौक़ीरी से , और उन बे ह़याई बातों से जो ज़ाहिरी हैं या बातिनी |
कुछ अल्फ़ाज़ ऊपर मौजूद रिवायत में ऐसे हैं जो छटे कलमें से मिलते जुलते हैं

तरजुमा:- हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु से रिवायत है, कि हम एक मर्तबा हज़रत अ़ली रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु की महफ़िल में बैठे हुए थे ,तो आपने एक दुआ़ फरमाई जिसके आखिर में यह अल्फाज़ थे-
” ऐ अल्लाह मुझ पर रह़म फ़रमा कि मैं किसी ना जानने वाली तकलीफ में पड़ जाऊं,और मुझे ह़ुसने नज़र अ़ता फरमा हर उस चीज़ के बारे में जिसके बारे में तु मुझसे राज़ी हो जाए|
खुलासा यह है की तमाम अ़ुलमा ने मिलकर हदीसों से कुछ चुनिंदा अल्फ़ाज़ निकाल लिए और उनको 6 कलमों की शक्ल में बना दिया, जिस तरह क़ुरान की आयतों और सूरतों को मिलाकर पूरा क़ुरान बना दिया गया ,और तमाम लोगों को इस तरह क़ुरान पसंद भी आया और इसी तरह कलमें भी पसंद आए क्योंकि इनमें दुआएं होती है और बहुत से लोगों को अरबी नहीं आती थी इसलिए बहुत कम अल्फ़ाज़ में दुआएं लिख दी गई जिनको कलमा कहते हैं |
अलबत्ता यह बात बताते हुए चले कि ईमान का दारोमदार इन कलमों पर मौक़ूफ़ नहीं है, जैसा कि बहुत जगह यह समझते हैं कि जिनको यह छह कलमे याद नहीं नऊ़ज़ुबिल्लाह वह मुसलमान नहीं या बाज़ जगह यह कहते हैं कि उसका ईमान बाकी मुसलमानों से कमज़ोर है ऐसा हरगिज़ नहीं
बल्कि ईमान तौह़ीदो रिसालत के इक़रार और दिल से तस्दीक करने का नाम है चाहे यह तस्दीक़ करना किसी भी अल्फ़ाज़ के साथ हो दुरुस्त है|
Conclusions : नतिज़ा
हमने इस पोस्ट में पूरी कोशिश की है की हम सब को छटे कलमे के बारे में सब कुछ पता लग जाए. हमने यहां छटे कलमे के बारे में बताया है, छठे कलमे को केसे पढ़ा जाता है, छठे कलमे की फजीलत क्या है, हमारे प्यारे आका सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम छठे कलमा के पढ़ा करते थे।
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इस पोस्ट को लिखने मैं या कहने में कोई गलती हो गई हो तो अल्लाह से दुआ है की वो सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सदके से गलती को माफ कर दे।
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