Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika : tahajjud namaz time, fazilat | Tahajjud rakat

प्यारे आका के प्यारे दीवानो, तहज्जुद की नमाज़ एक ऐसा तोहफा है जिसको अल्लाह ने अपने महबूब सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वसीले से हम सब मुसलमानो को दिया है।

अगर आप किसी भी मुसीबत में मुब्तिला हो, आपकी दुआ कुबूल नहीं हो रही हो, आप अपने गुनाहो को बक्शबाना चाह रहे हो तो तहज्जुद नमाज़ सबसे अच्छा रास्ता है अल्लाह को राज़ी करने का, अपनी मुसीबतों से निकलने का और अपनी दुआओं को कुबूल करबाने का।

Tahajjud namaz ki kuch sharte : तहज्जुद नमाज़ की कुछ शर्तें

  • नींद: तहज्जुद की नमाज़ अदा करने से पहले आपको कुछ वक्त के लिए सोना पड़ेगा, बिना सोये हुए आप तहज्जुद की नमाज़ नहीं पढ़ सकते।
  • सबसे पहले वुज़ू कर ले
  • अपके कपड़े पाक हो और आपका बदन पाक हो
  • आपका सत्र ढका हुआ हो
  • जिस जगहा नमाज़ अदा करनी हो वो पाक हो
  • आपका मुह क़िबले की तरफ़ हो
  • तकबीर ए तहरीमा (यानी अल्लाह हु अकबर कहना)

तहज्जुद की नमाज़ का वक्त (Tahajjud ki namaz ka waqt)

ईशा की नमाज़ पढ़ कर सो जाए और फजर की नमाज़ का वक्त शुरू होने से पहले जब भी आंख खुले वह तहज्जुद का वक्त है / और फज्र का वक्त शुरू होने से एक घंटा पहले पढ़ना अफ़ज़ल है

नोट! ईशा की नमाज़ के बाद तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने के लिए सोना सोना ज़रूरी है,, चाहे कुछ देर के लिए ही क्यों ना हो|

हज्जाज बिन उमर बिना ग़ज़िया रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु से मरवी है के नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया तहज्जुद यह है के बंदा कुछ देर सोने के बाद नमाज़ अदा करे

सदरुश्शरिया मुफ्ती मुहम्मद अमजद अली रहमतुल्लाह अलैह फताब ए अमजदिया मे फरमाते हैं””नमाजे़ ईशा पड़कर सोने के बाद जब उठे तहज्जुद का वक्त है,””और ये वक़्त तुलूए फज्र(फज्र का वक्त शुर होने से पहले) तक है,और बेहतर आधी रात गुज़रने के बाद है, और अगर सोया ना हो और नमाजे़ तहज्जुद पढ़ ली तो नमाजे़ तहज्जुद नहीं हुई बलकि सलातुल्लैल के नफिलो का सबाब मिल जाएगा|

Tahajjud ki namaz ki fazilate : तहज्जुद की नमाज़ की फज़ीलतें

जब इस्लाम शुरू हुआ उस वक्त 5 नमाजे़ फर्ज़ नहीं थी ,सूरह मुज़म्मिल नाजि़ल होने के बाद सिर्फ तहज्जुद  की नमाज़ नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम और तमाम उम्मत पर फर्ज़ थी, फिर जब शबे मेराज में पांच नमाजे़ फर्ज़ कर दी गईं तो तहज्जुद की फर्ज़ीयत तमाम उम्मत से खत्म कर दी गई और इसमें इख्तिलाफ है के नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम पर फर्ज़ थी या नहीं, तफसीरे मुज़हरी में सही उसको करार दिया है कि जब तहज्जुद की फर्ज़ीयत तमाम उम्मत से खत्म हो गई तो नबीये करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम से भी खत्म कर दी गई, और सब के लिए नफिल रह गई/

आप तहज्जुद की नमाज़ की अहमियत का अंदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं कि यह नमाज़ इबतिदाय इस्लाम में फर्ज़ हुआ करती थी, इसी वजह से इसकी आज भी बहुत फज़ीलतें हैं| नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम ने जो फज़ीलतें तहज्जुद की नमाज़ के लिए बताई हैं उनमें से कुछ यहां बयान करने की कोशिश करूंगा/

हजरत अबू उमामा रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु से रिवायत है के नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया ,मफहूम- तुम ज़रूर क़यामे लैल किया करो ( यानी तहज्जुद की नमाज़ पढ़ा करो) क्योंकि वह तुमसे पहले स्वालिह़ीन का शेवा, शिआ़र और तरीका रहा है, और अल्लाह से करीब करने का खास वसीला है, और वह बुराइयों को मिटाने वाली और दुश्मनों से महफूज़ रखने वाली चीज़ है|( तिर्मिज़ी, मिश्कात)

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने दिन को रौशन और रात को पुरसुकून बनाया, रात के सन्नाटे में आम लोगों को आराम में सुकून मिलता है और खास लोगों को इबादत में सुकून मिलता है, वैसा सुकून किसी और वक्त में नहीं मिलता,, यही वजह है कि रात की तन्हाई में तमाम लोग गहरी नींद में सोए होते हैं मगर अल्लाह ताला के खास बंदे यादे इलाही में लगे होते हैं| बल्कि यह लोग रात का ऐसे इंतज़ार करते हैं जैसे प्यासा पानी का इंतज़ार करता है|

उन्हीं लोगों के लिए अल्लाह रब्बुल इज्जत ने कुरान मजीद में फरमाया ,मफहूम- “”उनके पहलू उस वक्त( रात में जो लोगों के सोने का खास वक्त है) उनकी सोने की जगहों से जुदा रहते हैं यानी वह लोग मुराद हैं जो लोग मीठी नींद और नर्म बिस्तर को छोड़कर अल्लाह ताला की याद में क़याम करते हैं यानी तहज्जुद की नमाज़ पढ़ते हैं/

हजरत अब्दुल्लाह इब्ने रवाह रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु ने नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम के मुताल्लिक इरशाद फरमाया के हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम की रात इस तरह गुज़रती के उनके पहलू बिस्तर से जुदा रहते थे, जबकि मुशरिकों के बिस्तर उस वक्त उनके बोझ से गिरांबार हो चुके होते/(बुख़ारी शरीफ)

इससे मालूम हुआ के तहज्जुद की नमाज़ ख़ास बंदों की इबादत है और इसकी दलील गुज़ीश्ता हदीस से साबित हो गई/

Namaz e tahajjud ki 4 khususiyat : नमाजे़ तहज्जुद की 4 खुसूसियात

(1) नमाजे़ तहज्जुद की पहली खुसूसियत यह है कि यह पुराने ज़माने से खास और नेक लोगों का तरीका और उनकी इबादत रही है,तमाम औलिया अल्लाह और स्वालेहीन इस नमाज़ को पढ़ते चले आए हैं,जब यह नमाज़ स्वालेहीन के लिए पसंदीदा नमाज़ है, तो फिर हमारे लिए तो बुलंद मरतबे से भी ज़्यादा पसंद होनी चाहिए| एक हदीस का मफहूम है कि मेरी उम्मत के शरीफ लोग कु़रान को पढ़ने वाले कु़रान को समझने वाले और उस पर अमल करने वाले और तहज्जुद पढ़ने वाले लोग हैं|

(2) नमाजे़ तहज्जुद की दूसरी खुसूसियत यह है कि वो क़ुर्बे इलाही का वसीला है, उससे रब्बे करीम की मोहब्बत और कुर्बत नसीब होती है|

एक हदीस का मफहूम है कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपने बंदे के सबसे ज़्यादा करीब रात के आखिरी पहर में होता है, लिहाज़ा तुम भी उस वक्त उस को याद करने वालों में से हो जाओ|

(3) नमाजे़ तहज्जुद की तीसरी खुसूसियत यह है कि नमाजे़ तहज्जुद गुनाहों के कफ्फारे का ज़रिया है इरशादे बारी तआ़ला का मफहूम है कि नेकियां बुराइयों को मिटा देती हैं, और नमाज़े तहज्जुद बहुत बड़ी नेकी है,, इससे अल्लाह तआ़ला गुनाहों को मिटा देता है, जैसे कि पतझड़ के मौसम में तेज़ हवा पेड़ों से पत्ते गिरा देती है ,,इस तरह नमाजे़ तहज्जुद गुनाहों को मिटा देती है/

(4) उसकी चौथी खुसूसियत यह है कि वह गुनाहों से बचाती है, और गुनाहों के छोड़ने से तहज्जुद की तौफीक़ नसीब होती है, और तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने से गुनाहों के याद करने और उनसे तौबा करने की तौफीक मिलती है/

हदीस में है कि हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम से किसी शख्स के मुताल्लिक शिकायत की गई कि फलां शख्स दिन में चोरी करता है, और रात को तहज्जुद पड़ता है तो नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया बहुत जल्द तहज्जुद की नमाज़ उसको चोरी करने से रोक देगी, क्योंकि नमाज़ की यही खासियत है कि अगर उसको सही तौर पर अदा किया जाए तो वह बे हयाई और बुरी बातों से रोक देती है| अलग़र्ज़ तहज्जुद की नमाज़ से गुनाहों को याद करने की तौफीक़ मिलती है

हजरत हसन बसरी रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु की ख़िदमत में एक शख्स हाज़िर होकर कहने लगा कि मुझे तहज्जुद की तौफीक नहीं मिलती है,, तो आप रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु ने फरमाया दिन को गुनाहों से बचा करो तो रात को तहज्जुद की तौफीक मिल जाएगी,, इससे मालूम होता है कि गुनाहों का छोड़ना और तहज्जुद की तौफीक़ लाजि़म मलज़ूम हैं|

Namaze tahajjud ki rakate : नमाजे़ तहज्जुद की रकाते

तहज्जुद की नमाज़ में कम से कम 2 रकात और ज़्यादा से ज़्यादा 12 रकाते होती है अगर दो से ज़्यादा रकात पढ़ना है तो 4 की नियत बांधे और अगर दो पढ़ना है तो दो की बांधे और अगर 12 बढ़ना है तो चार चार करके तीन बार में पढ़ ले और अगर 8 रकात पढ़ता है ,,तो दो बार में पढ़ ले जिस तरह चार सुन्नते पढ़ी जाती है|

Tahajjud ki namaz ki niyat : तहज्जुद की नमाज़ की नियत

अगर कोई शख्स 2 रकात नमाजे़ तहज्जुद पढ़ रहा है, तो इस तरह नियत करें ,“नियत की मैंने 2 रकअत नमाज़ तहज्जुद की सुन्नत रसूलुल्लाह के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा तरफ काबा शरीफ के अल्लाह हू अकबर,”

और अगर 4 रकअत की नियत बांध रहा है तो 2 की जगह 4 कहले

Tahajjud ki namaz padhne ka sahi tarika : तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने का सही तरीका

क़िबले की तरफ़ मुह करके खड़े हो जाएं और नियत कर ले

नोट: हम यहाँ तहज्जुद की नमाज़ के 2 रकात पढ़ने का तरीका बताएंगे, अगर आप 4 रकात पढ़ रहे हैं तो तरीका यही रहेगा।

नियत करने के बाद अल्लाह हु अकबर कहते हुए नियत बंद ले, मर्द हज़रात अपनी नाफ़ के नीचे और औरते सीने पर।

  1. सबसे पहले “अऊ़ज़ु बिल्लाही मिनश्शैत़ुआ निर्रजीम”पढ़ें
  2. फिर सना पढ़ें ” सुबह़ानकल्लाहुम्मा वबिहमदिका
  3. फिर सुरेह फातिहा पढ़े
  4. उसके बाद कुरान की कोई एक सुरेह जो भी आपको याद हो पढ़ ले

और अल्लाह हु अकबर कहते हुए रुकु में चले जाएं, रुकू इस तरह से करे की आपका सर और कमर बराबर हो जाए, रुकू में आप 3, 5 या 7 मरतबा सुबह़ाना रब्बियल अज़ीम पढ़े, और समिअल्लाहु लिमन हमिदह कहते हुए सीधे खड़े हो जाएं और रब्बना लकल हम्द कहें।

फिर अल्लाह हु अकबर कहते हुए सजदे में चले जाए, सजदे में 3, 5 या 7 मरतबा सुबहाना रब्बियल आला पढ़े, फिर अल्लाह हु अकबर कहते हुए दो ज़ानो हो कर बैठ जाए, फिर 2-3 सेकेंड रुक के अल्लाह हू अकबर कहते हुए दूसरा सजदा कर ले।

दूसरे सजदे के बाद अल्लाह हू अकबर कहते हुए खड़े हो जाएँ दुसरी रकात के लिए

दुसरी रकात भी एैसे ही पढ़ ले, दुसरी रकात में आपको सना नहीं पढ़ना है, जब आप दूसरी रकात का दूसरा सजदा कर ले और दो ज़ानो हो कर बैठ जाए।

  • सबसे पहले आप अत्तहिय्यात पढ़े
  • उसके बाद दुरूद ए इब्राहीम पढ़े
  • फिर दुआ ए मासूरा या फिर रब्बना अतिना फिद्दुन्या पढ़ ले 
  • उसके बाद सलाम फेर ले

नोट: अत्तहियात पढ़ते वक्त जब आप “अशहदु अल्लाह” पर आये तो अपनी शाहादत की उँगली को उठा ले और फिर “इलाहा” पर आये तो ऊँगली को नीचे कर ले।

Salam Pherene ka tarika : सलाम फेरने का तरीका

पहले आप अपने दाएं कंधे की तरफ देखे और पढ़े अस्सलामुअलैकुम वारहमतुल्लाह फिर आप बाएं कंधे की तरफ देखे और पढ़े अस्सलामुअलैकुम वारहमतुल्लाह।

ये आपकी तहज्जुद की 2 रकात की नमाज़ अदा हो गई।

नोट: अगर आप 2 रकात के अलावा और भी रकात पढ़ना चाहते हैं तो पढ़ सकते हैं। आप 2 से 12 रकात पढ़ सकते हैं। नमाज़ पढ़ने का तरीका यही रहेगा।

Tahajjud ki namaz padhne ke baad dua karne ka tarika : तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने के बाद दुआ करने का तरीका

पहले आप नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम पर दुरूद शरीफ पढे़
दुरूद शरीफ पढ़ने के बाद आप कुछ और भी सुरेह पढ़ सकते हैं, जैसे अल्लाहुम्मा अंतस्सलाम, रब्बाना आतिना, रब्बि जअ़लनी मुक़ीमस़्स़लाती.
फिर आप अल्लाह से दुआ करें, नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम का वासता दे के आप अल्लाह से दुआ मांगे। बेशक अल्लाह ताला आपकी दुआ कबूल करेगा। इंशा अल्लाह

अल्लाह बहुत रहीम है, रहम करे वाला है, बहुत करीम है करम करने वाला है, दुआ को कुबूल करने वाला है। जिस दुआ मे नबी ए करीम सल्लल्लाहो ताला अलैही वसल्लम का वासता शमिल होता है, वो दुआ कुबूल होती है।

Conclusions : नतीजा

हमने इस पोस्ट में पूरी कोशिश की है की हम सब को तहज्जुद की नमाज़ अदा करने का सही तरीका पता लग जाए। हमने यहाँ तहज्जुद की नमाज़ का तरीका, तहज्जुद की नमाज़ का वक्त, तहज्जुद नमाज़ की रकात और तहज्जुद की फज़ीलत को बताया है।

उम्मीद करता हूं की आप लोगो को ये पोस्ट पसंद आएगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। और इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे, ताके ज्यादा से ज्यादा लोगो तक ये पोस्ट पाहुच जांऐ।

इस पोस्ट को लिखने मैं या कहने में कोई गलती हो गई हो तो अल्लाह से दुआ है की वो अपने महबूब के सदके से गलती को माफ कर दे।

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